पोखरण-II पांच परमाणु बम परीक्षण विस्फोटों की श्रृंखला थी जो भारत द्वारा मई 1998 में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में किए गए थे। यह भारत का दूसरा प्रयास था जो मई 1974 में आयोजित किए गए पहले परीक्षण, "स्माइलिंग बुद्धा" के बाद सफल हुआ।
पोखरण II
आज से बीस साल पहले तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा की अचानक घोषणा ने भारत की दुनिया को उलट कर रख दिया था। 11th और 13th मई को, भारत ने पांच परमाणु परीक्षणों का एक सेट किया, जिसने दुनिया को चौंका दिया।उन परीक्षणों ने भारत को एक ऐसी सड़क पर खड़ा कर दिया, जिससे भारत को केवल एक परमाणु शक्ति ही नहीं, बल्कि वैश्विक मान्यता मिली।बहुत सरलता से, इसने भारत के लिए जगह बनाने के लिए वैश्विक उच्च तालिका प्राप्त करने में मदद की।
लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि अमेरिका सहित भारत के सभी शत्रु देश भारत को इस परमाणु परीक्षण को ना करने देने के लिए पूरी तरह से एकजुट थे l अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी CIA भारत की हर एक हरकत पर गहरी नजर रखे हुए थी और उसने अरबों रुपये खर्च करके पोखरण पर नजर रखने वाले चार सैटेलाइट लगाए थे, ये ऐसे सैटेलाइट थे जिनके बारे में कहा जाता था कि ये जमीन पर खड़े भारतीय सैनिकों की घड़ी में हो रहा समय भी देख सकते थे l लेकिन भारत ने CIA और इन सभी सैटेलाइटस को मात दे दी l
आइये अब जानते हैं कि भारत ने कैसे ये परीक्षण किये थे?
परीक्षण की जगह थी पोखरण | भारत ने इस जगह को इसलिए चुना था क्योंकि यहाँ पर मानव बस्ती बहुत दूर थी l
वैज्ञानिकों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए रेगिस्तान में बालू के बड़े बड़े कुए खोदे और इनमे परमाणु बम रखे गए और फिर कुओं को बालू से ढका गया. इन कुओं के ऊपर बालू के पहाड़ बना दिए गए जिन पर मोटे मोटे तार निकले हुए थे जिनमे आग लगायी गयी और बहुत जोर का धमाका हुआ l
इस धमाके के कारण एक ग्रे रंग का बादल बन गया थाl इससे कुछ दूरी पर खड़ा 20 वैज्ञानिकों का समूह इस पूरे घटना क्रम पर नजर रखे हुए था जैसे ही यह विस्फोट हुआ तो एक वैज्ञानिक ने कहा कि , 'कैच अस इफ यू कैन', अर्थात 'अगर पकड़ सको तो हमें पकड़ो'l यह अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी को खुली चुनौती के तौर पर बोला गया था l
इस पूरे प्रोजेक्ट के दौरान वैज्ञानिक एक दूसरे से कोड भाषा में बात करते थेl इस पूरी प्रक्रिया के दौरान वैज्ञानिकों के बहुत से झूठे नाम भी रखे गए थे और ये नाम इतने सारे हो चुके थे कि कभी-कभी तो साथी वैज्ञानिक एक दूसरे के नाम भी भूल जाते थेl सभी को आर्मी की वर्दी में परीक्षण स्थल पर ले जाया जाता था ताकि ख़ुफ़िया एजेंसी CIA को यह अंदेशा हो कि आर्मी के जवान ड्यूटी कर रहे हैं l
पांच परमाणु उपकरणों को ऑपरेशन शक्ति के दौरान विस्फोट किया गया।इस परीक्षण की सफलता पर भारतीय जनता ने भरपूर प्रसन्नता जताई लेकिन दुनिया के दूसरे देशों में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। इजरायल ही एकमात्र ही ऐसा देश था, जिसने भारत के इस परीक्षण का समर्थन किया था। इस परीक्षण के बाद अमेरिका, जापान, फ़्रांस, ब्रिटेन सहित लगभग सभी विकसित देशों ने भारत के खिलाफ प्रतिबन्ध लगाये थे l
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