'ऑपरेशन ब्लू स्टार' भारतीय सेना द्वारा अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। ये भारत के इतिहास में एक ऐसी घटना जिसने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की मौत की पटकथा लिखी थी क्योंकि ये ही उनकी हत्या का मुख्य कारण था, जिसने देश की राजनीति की दिशा को ही मोड़ दिया था।
क्यों चला था 'ऑपरेशन ब्लू स्टार'
'ऑपरेशन ब्लू स्टार' उनके खात्मे के लिए चलाया गया था, जो अलगाववादी विचारधारा को जन्म दे रहे थे। पंजाब में अलग राज्य की मांग की समस्या ने सिर उठाना शुरू कर दिया था। पंजाब समस्या की शुरुआत 1970 के दशक से अकाली राजनीति में खींचतान और अकालियों की पंजाब संबंधित मांगों को लेकर शुरु हुई थी। पहले साल 1973 में और फिर 1978 में अकाली दल ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया। मूल प्रस्ताव में सुझाया गया था कि भारत की केंद्र सरकार का केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार हो जबकि अन्य विषयों पर राज्यों को पूर्ण अधिकार हों। अकाली ये भी चाहते थे कि भारत के उत्तरी क्षेत्र में उन्हें स्वायत्तता मिले।
यही वह वक्त भी था जब पंजाब में अकाली दल कांग्रेस का विकल्प बनकर उभर चुका था, इंदिरा गांधी ने इसके जवाब के तौर पर सरदार ज्ञानी जैल सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर खड़ा किया। जैल सिंह का बस एक ही मकसद था-शिरोमणि अकाली दल का सिखों की राजनीति में वर्चस्व कम करना। इन सब हालात के बीच एक शख्स का उदय हुआ जिसका नाम था जरनैल सिंह भिंडरावाले, जिसे पहले अकाली दल के काट के लिए लाया गया था लेकिन बाद में वो सरकार के लिए चुनौती बन गया।
खालिस्तान आंदोलन का परिचय
आजादी के बाद खालिस्तान का आंदोलन शुरू हो गया था। यह आंदोलन भारत से पंजाब को अलग करके खालिस्तान नाम से एक नए देश बनाने के लिए किया गया था। इससे भारत में आतंक के एक नए अध्याय की शुरुआत हुई जिसका समापन 6 जून, 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के साथ हुआ। हालांकि इस ऑपरेशन के साथ सिख अलगाववाद करीब-करीब खत्म हो गया लेकिन अभी दुनिया भर में कई संगठन हैं जो पंजाब को अलग करने की मांग करते हैं।
क्यों हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार?
1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल ही हत्या से माहौल गर्मा गया। उसी साल जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस में चुन-चुनकर हिंदुओं की हत्या कर दी। इसके बाद विमान हाईजैक हुए। स्थिति काबू से बाहर हो गई और केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। अब तक स्वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना चुका भिंडरावाला सरकार के निशाने पर आ चुका था और स्वर्ण मंदिर को चरमपंथियों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लूस्टार प्लान किया गया।
3 जून की रात
केंद्र सरकार ने भारतीय थल सेना को स्वर्ण मंदिर को स्वतंत्र कराने का जिम्मा सौंपा। जनरल बरार को ऑपरेशन ब्लूस्टार की कमान सौंपी। 3 जून को सेना ने अमृतसर में प्रवेश किया। चार जून की सुबह गोलीबारी शुरू हो गई। सेना को चरमपंथियों की ताकत का अहसास हुआ तो अगले ही दिन टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों का उपयोग किया गया। 6 जून की शाम तक स्वर्ण मंदिर में मौजूद भिंडरावाला व अन्य चरमपंथियों को मार गिराया गया। लेकिन तब तक मंदिर और जानमाल का काफी नुकसान हो चुका था।
ऑपरेशन के बाद सरकार ने श्वेत पत्र जारी कर बताया कि ऑपरेशन में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए और 248 अन्य सैनिक घायल हुए। इसके अलावा 492 अन्य लोगों की मौत की पुष्टि हुई और 1,592 लोगों को हिरासत में लिया गया। 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई और दंगे भड़क गए।
क्या हुआ खालिस्तान का?
1990 के दशक में खालिस्तान की मांग कमजोर पड़ती गई। हालांकि ऑपरेशन ब्लू स्टार की तारीख पर आज भी हर साल पंजाब में विरोध प्रदर्शन होता है। ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका में रह रहे सिख समुदायों में अभी भी अलग खलिस्तान को लेकर मांग उठती रही है। समझा जाता है कि भारत से बाहर दो से तीन करोड़ सिख रह रहे हैं। उनमें से ज्यादातर का भारत के पंजाब से कोई न कोई जुड़ाव है।